अपने बचपन की गलियों में
पुराने दोस्तों के बीच
जो अब भी नए और ताजा हैं मेरे लिए
मैं लौटना चाहता हूँ
जैसे खेल से थका बच्चा
लौट आता है मां की गोद में
जैसे प्रजनन के बाद
लौट आती हैं मछलियाँ अपनी पुरानी जगह पर
जैसे पूरे बरस को फलांगते हुए
लौट आती है जनवरी
पर कैसे लौटूंगा मैं
क्या मैं अब भी वही हूँ जो बरसों पहले
चला आया था अचानक यहाँ
क्या किसी के मन में
खाली होगी अब तक
मेरे जितनी जगह
मैं लौटना चाहता हूँ
पर कैसे
ऐसे जैसे कभी गया ही नहीं था या ऐसे जैसे अनजान लोग
चले आते हैं परदेश में
लोगों के बीच अपनी जगह तलाशते हुए
चंदन यादव
तुम कविता की दुनिया में फिर दाखिल हुए यह सुखद है । और पढने को मिलेगा ।
जवाब देंहटाएंchandan mama pahan pajam
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