पहले
बहुत बहुत पहले
ईश्वर नहीं था
नहीं थे पाप और पुन्य
मोक्ष और परलोक भी नहीं था
ईश्वर का डर भी
नहीं था बहुत बहुत पहले
पहले
बहुत बहुत पहले
पेड़ नदियाँ सूरज चाँद और तारे थे
छिपकली और गोरैया थी
बहुत पहले
पहले
बहुत बहुत पहले
ईश्वर नहीं था
कल्पना कामना और जिज्ञासा थी
बहुत बहुत पहले
रविवार, 8 नवंबर 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
अरे चंदन भाई कहां छुपे बैठे थे अब तक । आपतो बहुत सुंदर कविताएं करते हैं। ये अपने ब्लाग का नाम कुछ बदलो यार। जबान नही चढ़ता।
जवाब देंहटाएं